Sri Bala Tripura sundari Kavach in Hindi Sanskrit and English ( बाला त्रिपुर सुन्दरी कवच )
श्री विद्या ललिता त्रिपुर सुन्दरी धन, ऐश्वर्य, भोग एवं मोक्ष की अधिष्ठाता देवी हैं। अन्य विद्याओं की उपासना मंत या तो भोग मिलता है या फिर मोक्ष, लेकिन श्री विद्या का उपासक जीवन पर्यन्त सारे ऐश्वर्य भोगते हुए अन्त में मोक्ष को प्राप्त करता है। इनकी उपासना तंत्र शास्त्रों में अति रहस्यमय एवं गुप्त रूप से प्रकट की गयी है। पूर्व जन्म के विशेष संस्कारों के बलवान होने पर ही इस विद्या की दीक्षा का योग बनता है। ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जिन्हे इस जीवन में यह उपासना करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। मुख्य रूप से इनके तीन स्वरूपों की पूजा होती है। प्रथम आठ वर्षीया स्वरूप बाला त्रिपुरसुन्दरी, द्वितीय सोलह वर्षीया स्वरूप षोडशी, तृतीय युवा अवस्था स्वरूप ललिता त्रिपुरसुन्दरी। श्री विद्या साधना में क्रम दीक्षा का विधान है एवं सर्वप्रथम बाला सुन्दरी के मंत्र की दीक्षा साधको को दी जाती है। यंहा मां बालासुन्दरी के कवच का पाठ दिया जा रहा है। मां बालासुन्दरी के मंत्र जप से पहले इस कवच का पाठ अवश्य करें । जो साधक श्री विद्या में दीक्षित नहीं हैं वो इसका पाठ न करें।
हमारे शास्त्रों में करोड़ो मंत्र हैं लेकिन हर मंत्र आपके लिए सही नही है। शिष्य के लिए कौन सा मंत्र सही है इसका निर्णय केवल गुरू ही कर सकता है। इसलिए आप केवल अपने आप को गुरू को समर्पित कर दीजिए, इसके बाद गुरू स्वयं आपको सही राह दिखायेगा।
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श्री पार्वत्युवाच
देव देव महादेव शंकर प्राण वल्लभ।
कवचं श्रोतुमिच्छामि बालाया वद मे प्रभो ।1।
श्री महेश्वर उवाच
श्रीबालाकवचं देवि महाप्राणाधिकं परम्।
वक्ष्यामि सावधाना त्वं श्रृणुष्वावहिता प्रिये ।2।
विनियोग
अस्य श्रीबालाकवचस्तोत्र महामन्त्रस्य, श्री दक्षिणामुर्तिऋषिः पंक्तिश्छन्दः, बालात्रिपुरसुन्दरी देवता, ऐं बीजं, सौः शक्तिः। क्लीं कीलकम्, श्रीबालात्रिपुरसुन्दरीदेवता प्रसादसिद्धयर्थे जपे विनियोगः।
ध्यानम्
अरूण किरण जालैरंचिताशावकाशा
विधृतजपपटीका पुस्तकाभीतिहस्ता ।
इतरकरवराढया फुल्लकह्लारसंस्था
निवसतु हृदि बाला नित्यकल्याणशीला ।3।
कवच
ऐं वाग्भवः पातु शीर्षे क्लीं कामराजस्तथा हृदि ।
सौः शक्तिबीजं मां पातु नाभौ गुह्ये च पादयोः ।4।
ऐं क्लीं सौः वदने पातु बाला मां सर्वसिद्धये ।
हूस्त्रैं ह्लीं हौस्सः पातु स्कन्धे भैरवी कण्ठदेशतः ।5।
सुन्दरी नाभिदेशेऽव्याच्चर्चे कामकला सदा।
भ्रूनासयोरन्तराले महात्रिपुरसुन्दरी ।6।
ललाटे सुभगा पातु भगा मां कण्ठदेशतः ।
भगोदया तु हृदये उदरे भगसर्पिणी ।7।
भगमाला नाभिदेशे लिंगे पातु मनोभवा ।
गुह्ये पातु महावीरा राजराजेश्वरी शिवा ।8।
चैतन्यरूपिणी पातु पादयोर्जगदम्बिका ।
नारायणी सर्वगात्रे सर्वकार्यशुभंकरी ।9।
ब्रह्माणी पातु मां पूर्वे दक्षिणे वैष्णवी तथा ।
पश्चिमे पातु वाराही ह् युत्तरे तु महेश्वरी ।10।
आग्नेय्यां पातु कौमारी महालक्ष्मीश्च नैऋते ।
वायव्ये पातु चामुण्डा चेन्द्राणी पातु चेशके ।11।
जले पातु महामाया पृथिव्यां सर्वमंगला । ह्यु
स्क्ल्रीं मां सर्वतः पातु सकलह्रींपातु सन्धिषु ।12।
जलै स्थले तथाकाशे दिक्षु राजगृहे तथा ।
क्षूं क्षें मां त्वरिता पातु सह्रीं सक्लीं मनोभवा ।13।
हंसः पायान्महादेवी परं निष्कलदेवता ।
विजया मंगला दूति कल्याणी भगमालिनी ।14।
ज्वालामालिनिनित्या च सर्वदा पातु मां शिवा ।
इत्येतत्कवचं देवि बालादेव्याः प्रकीर्तितं ।15।
सर्वस्वं मे तव प्रीत्या प्राणवद्रक्षितं कुरू ।
इति श्रीरूुद्रयामले श्रीशिवपार्वतिसंवादे श्रीबालात्रिपुरसुन्दरी मन्त्रकवचं सम्पूर्णम् ।।
Sri Vidya Lalita Tripurasundari is the giver of wealth, prosperity and Moksha. One who worship this form of Devi ( Shakti) enjoys all the wordily things and at the end he get moksha.
Bala Tripura Sundari Kavacham in English (ITRANS)
shrii paarvatyuvaacha
deva deva mahaadeva shaMkara praaNa vallabha |
kavachaM shrotumichchhaami baalaayaa vada me prabho |1|
shrii maheshvara uvaacha
shriibaalaakavachaM devi mahaapraaNaadhikaM param.h |
vakShyaami saavadhaanaa tvaM shrR^iNuShvaavahitaa priye|2|
viniyoga
asya shriibaalaakavachastotra mahaamantrasya shrii dakShiNaamurtiR^iShiH paMktishchhandaH baalaatripurasundarii devataa aiM biijaM sauH shaktiH. kliiM kiilakam shriibaalaatripurasundariidevataa prasaadasiddhayarthe jape viniyogaH|
dhyaanam
aruuNa kiraNa jaalairaMchitaashaavakaashaa
vidhR^itajapapaTiikaa pustakaabhiitihastaa |
itarakaravaraaDhayaa phullakahlaarasaMsthaa
nivasatu hR^idi baalaa nityakalyaaNashiilaa |3|
kavacha
aiM vaagbhavaH paatu shiirShe kliiM kaamaraajastathaa hR^idi |
sauH shaktibiijaM maaM paatu naabhau guhye cha paadayoH |4|
aiM kliiM sauH vadane paatu baalaa maaM sarvasiddhaye |
huustraiM hliiM haussaH paatu skandhe bhairavii kaNThadeshataH |5|
sundarii naabhideshe.avyaachcharche kaamakalaa sadaa|
bhruunaasayorantaraale mahaatripurasundarii |6|
lalaaTe subhagaa paatu bhagaa maaM kaNThadeshataH |
bhagodayaa tu hR^idaye udare bhagasarpiNii |7|
bhagamaalaa naabhideshe liMge paatu manobhavaa |
guhye paatu mahaaviiraa raajaraajeshvarii shivaa |8|
chaitanyaruupiNii paatu paadayorjagadambikaa |
naaraayaNii sarvagaatre sarvakaaryashubhaMkarii |9|
brahmaaNii paatu maaM puurve dakShiNe vaiShNavii tathaa |
pashchime paatu vaaraahii hyuttare tu maheshvarii |10|
aagneyyaaM paatu kaumaarii mahaalakShmiishcha naiR^ite |
vaayavye paatu chaamuNDaa chendraaNii paatu cheshake |11|
jale paatu mahaamaayaa pR^ithivyaaM sarvamaMgalaa |
sklriiM maaM sarvataH paatu sakalahriiMpaatu sandhiShu |12|
jalai sthale tathaakaashe dikShu raajagR^ihe tathaa |
kShuuM kSheM maaM tvaritaa paatu sahriiM sakliiM manobhavaa |13|
haMsaH paayaanmahaadevii paraM niShkaladevataa |
vijayaa maMgalaa duuti kalyaaNii bhagamaalinii |14|
jvaalaamaalininityaa cha sarvadaa paatu maaM shivaa |
ityetatkavachaM devi baalaadevyaaH prakiirtitaM |15|
sarvasvaM me tava priityaa praaNavadrakShitaM kuruu |
iti shriiruudrayaamale shriishivapaarvatisaMvaade shriibaalaatripurasundarii mantrakavachaM sampuurNam.h ||
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