Banke Bihari Temple Vrindavan

Secret of Mantras and Tantras | Dus Mahavidya Mantra

About Banke Bihari Temple Vrindavan ( बांके बिहारी जी मन्दिर वृंदावन)

यह मन्दिर श्री वृन्दावन धाम के एक सुन्दर इलाके में स्थित है। कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण स्वामी श्री हरिदास जी के वंशजो के सामूहिक प्रयास से संवत १९२१ के लगभग किया गया।श्रीहरिदास स्वामी विषय उदासीन वैष्णव थे। उनके भजन–कीर्तन से प्रसन्न हो निधिवन से श्री बाँकेबिहारीजी प्रकट हुये थे।इनके आराध्यदेव श्याम–सलोनी सूरत बाले श्रीबाँकेबिहारी जी थे।  हरिदास जी, स्वामी आशुधीर देव जी के शिष्य थे। इन्हें देखते ही आशुधीर देवजी जान गये थे कि ये सखी ललिताजी के अवतार हैं तथा राधाष्टमी के दिन भक्ति प्रदायनी श्री राधा जी के मंगल–महोत्सव का दर्शन लाभ हेतु ही यहाँ पधारे है।

निकुंज वन में ही स्वामी हरिदासजी को बिहारीजी की मूर्ति निकालने का स्वप्नादेश हुआ था। तब उनकी आज्ञानुसार मनोहर श्यामवर्ण छवि वाले श्रीविग्रह को धरा को गोद से बाहर निकाला गया। यही सुन्दर मूर्ति जग में श्रीबाँकेबिहारी जी के नाम से विख्यात हुई यह मूर्ति मार्गशीर्ष, शुक्ला के पंचमी तिथि को निकाला गया था। अतः प्राकट्य तिथि को हम विहार पंचमी के रूप में बड़े ही उल्लास के साथ मानते है।

 

श्री बाँकेबिहारी जी निधिवन में ही बहुत समय तक स्वामी जी द्वारा सेवित होते रहे थे। फिर जब मन्दिर का निर्माण कार्य सम्पन्न हो गया, तब उनको वहाँ लाकर स्थापित कर दिया गया। सनाढय वंश परम्परागत श्रीकृष्ण यति जी, बिहारी जी के भोग एवं अन्य सेवा व्यवस्था सम्भाले रहे। फिर इन्होंने संवत 1975 में हरगुलाल सेठ जी को श्रीबिहारी जी की सेवा व्यवस्था सम्भालने हेतु नियुक्त किया। तब इस सेठ ने वेरी, कोलकत्ता, रोहतक, इत्यादि स्थानों पर श्रीबाँकेबिहारी ट्रस्टों की स्थापना की। इसके अलावा अन्य भक्तों का सहयोग भी इसमें काफी सहायता प्रदान कर रहा है। आनन्द का विषय है कि जब काला पहाड़ के उत्पात की आशंका से अनेकों विग्रह स्थानान्तरित हुए। परन्तु श्रीबाँकेविहारी जी यहां से स्थानान्तरित नहीं हुए। आज भी उनकी यहां प्रेम सहित पूजा चल रही हैं। कालान्तर में स्वामी हरिदास जी के उपासना पद्धति में परिवर्तन लाकर एक नये सम्प्रदाय, निम्बार्क संप्रदाय से स्वतंत्र होकर सखीभाव संप्रदाय बना। इसी पद्धति अनुसार वृन्दावन के सभी मन्दिरों में सेवा एवं महोत्सव आदि मनाये जाते हैं। श्रीबाँकेबिहारी जी मन्दिर में केवल शरद पूर्णिमा के दिन श्री श्रीबाँकेबिहारी जी वंशीधारण करते हैं। केवल श्रावन तीज के दिन ही ठाकुर जी झूले पर बैठते हैं एवं जन्माष्टमी के दिन ही केवल उनकी मंगला–आरती होती हैं। जिसके दर्शन सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होते हैं। और चरण दर्शन केवल अक्षय तृतीया के दिन ही होता है। इन चरण-कमलों का जो दर्शन करता है उसका तो बेड़ा ही पार लग जाता है। स्वामी हरिदास जी संगीत के प्रसिद्ध गायक एवं तानसेन के गुरु थे। एक दिन प्रातःकाल स्वामी जी देखने लगे कि उनके बिस्तर पर कोई रजाई ओढ़कर सो रहा हैं। यह देखकर स्वामी जी बोले– अरे मेरे बिस्तर पर कौन सो रहा हैं। वहाँ श्रीबिहारी जी स्वयं सो रहे थे। शब्द सुनते ही बिहारी जी निकल भागे। किन्तु वे अपने चुड़ा एवं वंशी, को विस्तर पर रखकर चले गये। स्वामी जी, वृद्ध अवस्था में दृष्टि जीर्ण होने के कारण उनकों कुछ नजर नहीं आय। इसके पश्चात श्री बाँकेबिहारीजी मन्दिर के पुजारी ने जब मन्दिर के कपाट खोले तो उन्हें श्री बाँकेविहारीजी मन्दिर के पुजारी ने जब मन्दिर में कपट खोले तो उन्हें श्रीबाँकेबिहारी जी के पलने में चुड़ा एवं वंशी नजर नहीं आयी। किन्तु मन्दिर का दरवाजा बन्द था। आश्चर्यचकित होकर पुजारी जी निधिवन में स्वामी जी के पास आये एवं स्वामी जी को सभी बातें बतायी। स्वामी जी बोले कि प्रातःकाल कोई मेरे पंलग पर सोया हुआ था। वो जाते वक्त कुछ छोड़ गया हैं। तब पुजारी जी ने प्रत्यक्ष देखा कि पंलग पर श्रीबाँकेबिहारी जी की चुड़ा–वंशी विराजमान हैं। इससे प्रमाणित होता है कि श्रीबाँकेबिहारी जी रात को रास करने के लिए निधिवन जाते हैं।

इसी कारण से प्रातः श्रीबिहारी जी की मंगला–आरती नहीं होती हैं। कारण–रात्रि में रास करके यहां बिहारी जी आते है। अतः प्रातः शयन में बाधा डालकर उनकी आरती करना अपराध हैं। स्वामी हरिदास जी के दर्शन प्राप्त करने के लिए अनेकों सम्राट यहाँ आते थे। एक बार दिल्ली के सम्राट अकबर, स्वामी जी के दर्शन हेतु यहाँ आये थे। ठाकुर जी के दर्शन प्रातः 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक एवं सायं 6 बजे से रात्रि 9 बजे तक होते हैं। विशेष तिथि उपलक्ष्यानुसार समय के परिवर्तन कर दिया जाता हैं।

श्रीबाँकेबिहारी जी के दर्शन सम्बन्ध में अनेकों कहानियाँ प्रचलित हैं। जिनमें से एक तथा दो निम्नलिखित हैं– एक बार एक भक्तिमती ने अपने पति को बहुत अनुनय–विनय के पश्चात वृन्दावन जाने के लिए राजी किया। दोनों वृन्दावन आकर श्रीबाँकेबिहारी जी के दर्शन करने लगे। कुछ दिन श्रीबिहारी जी के दर्शन करने के पश्चात उसके पति ने जब स्वगृह वापस लौटने कि चेष्टा की तो भक्तिमति ने श्रीबिहारी जी दर्शन लाभ से वंचित होना पड़ेगा, ऐसा सोचकर वो रोने लगी। संसार बंधन के लिए स्वगृह जायेंगे, इसलिए वो श्रीबिहारी जी के निकट रोते–रोते प्रार्थना करने लगी कि– ‘हे प्रभु में घर जा रही हुँ, किन्तु तुम चिरकाल मेरे ही पास निवास करना, ऐसा प्रार्थना करने के पश्चात वे दोनों रेलवे स्टेशन की ओर घोड़ागाड़ी में बैठकर चल दिये। उस समय श्रीबाँकेविहारी जी एक गोप बालक का रूप धारण कर घोड़ागाड़ी के पीछे आकर उनको साथ लेकर ले जाने के लिये भक्तिमति से प्रार्थना करने लगे। इधर पुजारी ने मंदिर में ठाकुर जी को न देखकर उन्होंने भक्तिमति के प्रेमयुक्त घटना को जान लिया एवं तत्काल वे घोड़ा गाड़ी के पीछे दौड़े। गाड़ी में बालक रूपी श्रीबाँकेबिहारी जी से प्रार्थना करने लगे। दोनों में ऐसा वार्तालाप चलते समय वो बालक उनके मध्य से गायब हो गया। तब पुजारी जी मन्दिर लौटकर पुन श्रीबाँकेबिहारी जी के दर्शन करने लगे।

इधर भक्त तथा भक्तिमति श्रीबाँकेबिहारी जी की स्वयं कृपा जानकर दोनों ने संसार का गमन त्याग कर श्रीबाँकेबिहारी जी के चरणों में अपने जीवन को समर्पित कर दिया। ऐसे ही अनेकों कारण से श्रीबाँकेबिहारी जी के झलक दर्शन अर्थात झाँकी दर्शन होते हैं।




 Banke Bihari Temple Vrindavan Timings

 

                                                           Morning

Summer Timings
(effective 2 days after holi)

Winter Timings
(effective 2 days after diwali)

Opening

0745

0845

Shringar

0800

0900

Rajbhog *

1100-1130

1200-1230

Rajbhog Aarti and closing

1200

1300

*No Darshan during bhog

Evening

Summer Timings
(effective 2 days after holi)

Winter Timings
(effective 2 days after diwali)

Opening

1730

1630

Shayan Bhog *

2030-2100

1930-2000

Shayan Aarti and closing

2130

2030

*No Darshan during bhog




 

Major Festivals

The Lord is always in celebration mood. It is said that in Brij Mandal you have more festivals than the number of days in a year. However major festivals celebrated in the temple are as under:

Sl. No. Festival Significance/Brief Description Day of the year (Hindu calendar) Day, Date, Month, Year(AD)
1 Samvatsar First day of new year, First Navratri Chaitra Shukla Pratipada Fri, 08 April 2016
2 Kamda Ekadashi First day of Phool Bangla Chaitra Shukla Ekadashi Sun, 17 April 2016
3 Akshaya Tritiya Charan Darshan (morning) and Sarvang Darshan (evening) Vaishakh Shukla Tritiya Mon, 09 May 2016
4 Guru Poornima Phool Bangla for Swami Haridas in Nidhivan Aasharh Shukla Poornima Tue, 19 Jul 2016
5 Haryali Amavasya Last day of Phool Bangla Shravan Krishna Amavasya Tue, 02 Aug 2016
6 Haryali Teej Jhoola festival Shravan Shukla Tritiya Fri, 05 Aug 2016
7 Raksha Bandhan Renew the bond of love Shravan Shukla Poornima Thu, 18 Aug 2016
8 Krishna Janmashtami Birthday of Lord Krishna (only on this day Mangla Aarti is performed) Bhadrapad Krishna Ashtami Thu, 25 Aug 2016
9 Nandotsav Celebrating the birth of Lord Bhadrapad Krishna Navmi Fri, 26 Aug 2016
10 Radha Ashtami Birthday of Swami Haridasji
Birthday of Radhaji
Bhadrapad Shukla Ashtami Fri, 09 Sep 2016
11 Sharad Poornima Day of Maha Raas Ashwin Shukla Poornima Sat, 15 Oct 2016
12 Roop Chaturdashi Chhoti Deepavali Kartik Krishna Chaturdashi Sat, 29 Oct 2016
13 Deepavali Deepmalika, Lakshmi Poojan Kartik Krishna Amavasya Sun, 30 Oct 2016
14 Annakoot Govardhan Pooja Kartik Shukla Pratipada Mon, 31 Oct 2016
15 Bhai Dooja Yam Dwitiya Kartik Shukla Dwitiya Tue, 01 Nov 2016
16 Akshay Navmi Vrindavan Mathura Yugal Parikrama Kartik Shukla Navmi Wed, 09 Nov 2016
17 Bihar Panchami Day of Appearance of Bihariji Margshirsha Shukla Panchami Sun, 04 Dec 2016
18 Aanola Ekadashi Colourful Holi celebrations start Phalgun Shukla Ekadashi Wed, 08 March 2017
19 Holika Dahan Colourful Holi celebrations end Phalgun Shukla Poornima Sun, 12 March 2017
20 Dhulendi Dolotsav Chaitra Krishna Pratipada Mon, 13 March 2017